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पितृ पक्ष हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला पर्व है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस अवधि में हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों से मिलने आते हैं और उनके द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और दान को स्वीकार करके आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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📖 पितृ पक्ष का महत्व
सनातन परंपरा में पितरों की कृपा को जीवन की समृद्धि का मूल माना गया है। कहा जाता है कि पूर्वजों के आशीर्वाद से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। वहीं यदि पितर अप्रसन्न हो जाएं तो वंशजों को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
शास्त्रों में कहा गया है –
“ऋणानुबंधेन पुत्र प्राप्यते” – अर्थात पुत्र-पुत्री केवल हमारे कर्मों के बंधन से ही जन्म लेते हैं। इसलिए वंशजों का यह कर्तव्य है कि वे अपने पितरों का श्राद्ध करें।
🪔 पितरों को प्रसन्न करने की विधियां
1. श्राद्ध विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- तांबे के पात्र में जल, तिल, कुशा और गंगाजल डालें।
- पितरों के नाम का उच्चारण करते हुए तर्पण करें।
- श्राद्ध के भोजन में प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें।
- एक या तीन ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
2. तर्पण विधि
- नदी, तालाब या कुएं में स्नान करना श्रेष्ठ है।
- यदि संभव न हो तो घर पर परात में जल भरकर तर्पण करें।
- तिल से पितरों का, जौ से ऋषियों का और चावल से देवताओं का तर्पण करें।
- तीन-तीन अंजलि जल अर्पित करें।
- जिन पितरों के नाम ज्ञात हों, उनका नाम लेकर तर्पण करें।
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3. पांच ग्रास की परंपरा
पितृ पक्ष में पांच ग्रास अवश्य निकालना चाहिए –
- पहला ब्राह्मण के लिए
- दूसरा गाय के लिए
- तीसरा कुत्ते के लिए
- चौथा कौवे के लिए
- पांचवां अन्य जीव-जंतुओं के लिए
📿 पितृ पक्ष में मंत्रोच्चारण
पितरों को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप करें –
- ॐ पितृ देवतायै नमः
- ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत धारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात।
- त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।
🛕 पितृ पक्ष पूजा सामग्री
श्राद्ध और तर्पण के लिए जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है, वे हैं –
- तिल, जौ, चावल, कुशा
- सफेद फूल
- तांबे का पात्र
- गंगाजल, दूध, घी
- तुलसी, पान के पत्ते
- उड़द दाल, मूंग दाल
- केले, गुड़, शहद
- अगरबत्ती, दीया और कपूर
🏠 घर पर श्राद्ध कैसे करें
- यदि गया धाम या किसी तीर्थस्थान नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही पितृ तर्पण किया जा सकता है।
- घर के आंगन या दक्षिण दिशा में एक स्थान को गोबर से लीपकर चबूतरा बनाएं।
- वहां तिल, चावल और फूल अर्पित करें।
- प्रतिदिन पितरों को जल और भोजन समर्पित करें।
- परिवार का बड़ा पुरुष सदस्य तर्पण करे।
⚠️ पितृ पक्ष में सावधानियां
- इन दिनों विवाह, मांगलिक कार्य और उत्सव नहीं करना चाहिए।
- मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
- झूठ, चोरी और छलकपट से दूर रहें।
- श्राद्ध भोजन में लहसुन-प्याज का प्रयोग वर्जित है।
- ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करें।
🙏 पितरों के प्रसन्न होने के लाभ
- घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- परिवार पर पितरों की विशेष कृपा रहती है।
- बाधाएं और रोग दूर होते हैं।
- वंश वृद्धि और संतान सुख प्राप्त होता है।
📌 निष्कर्ष
पितृ पक्ष का प्रत्येक दिन पूर्वजों की स्मृति और कृतज्ञता का प्रतीक है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान अवश्य करना चाहिए। यदि तीर्थस्थान जाना संभव न हो तो घर पर ही विधिपूर्वक तर्पण करें। शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि पितरों की कृपा से जीवन की हर कठिनाई दूर होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
आप देख, सुन और पढ़ रहे हैं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साई न्यूज़ धर्म प्रभाग में यह विशेष जानकारी।
(साई फीचर्स)

आशीष कौशल का नाम महाराष्ट्र के विदर्भ में जाना पहचाना है. पत्रकारिता के क्षेत्र में लगभग 30 वर्षों से ज्यादा समय से सक्रिय आशीष कौशल वर्तमान में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के नागपुर ब्यूरो के रूप में कार्यरत हैं .
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