यूरो प्रातिक सेल्स आईपीओ को मिला निवेशकों का भरोसा
(रश्मि कुलश्रेष्ठ)
नई दिल्ली (साई)। यूरो प्रातिक सेल्स लिमिटेड (Euro Pratik Sales Ltd) का बहुप्रतीक्षित आईपीओ (Initial Public Offer) निवेशकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बुधवार को दूसरे दिन तक कंपनी का आईपीओ लगभग 70 प्रतिशत सब्सक्राइब हो चुका है।
- कंपनी को अब तक 94,56,000 शेयरों के लिए बोलियां प्राप्त हुई हैं, जबकि कुल 1,34,64,781 शेयरों की पेशकश की गई थी।
- इसका मतलब है कि निवेशकों का भरोसा इस आईपीओ पर धीरे-धीरे मजबूत हो रहा है।
निवेशकों की श्रेणीवार स्थिति
आईपीओ सब्सक्रिप्शन में अलग-अलग श्रेणी के निवेशकों की भूमिका अहम होती है। Euro Pratik Sales IPO में अब तक स्थिति कुछ इस प्रकार रही –
- नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII): 1.23 गुना सब्सक्राइब।
- रिटेल इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स (RII): 71% सब्सक्रिप्शन।
- क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB): 26% सब्सक्रिप्शन।
इससे साफ है कि रिटेल और हाई नेटवर्थ निवेशकों की ओर से मजबूत रुचि दिखाई जा रही है।
एंकर इन्वेस्टर्स से 135 करोड़ रुपये जुटाए
आईपीओ से पहले कंपनी ने सोमवार को एंकर इन्वेस्टर्स से 135 करोड़ रुपये जुटाए। यह कदम बाजार में भरोसा बढ़ाने और निवेशकों की दिलचस्पी जगाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ऑफर-फॉर-सेल मॉडल
Euro Pratik Sales IPO पूरी तरह से ऑफर-फॉर-सेल (OFS) है।
- इसमें प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं।
- कुल ₹451.32 करोड़ मूल्य के शेयर बिक्री के लिए लाए गए हैं।
- इसमें कोई नया इक्विटी इश्यू शामिल नहीं है, यानी कंपनी सीधे तौर पर इस ऑफर से नई पूंजी नहीं जुटा रही।
प्राइस बैंड और शेयर विवरण
- प्राइस बैंड: ₹235 से ₹247 प्रति शेयर।
- इस बैंड में निवेशकों के पास बोली लगाने का विकल्प है।
- मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि लिस्टिंग से पहले रिटेल और QIBs की ओर से और मजबूत प्रतिक्रिया मिलती है, तो लिस्टिंग प्रीमियम मिलने की संभावना भी बढ़ सकती है।
कारोबार और बिजनेस मॉडल
यूरो प्रातिक सेल्स लिमिटेड का कारोबार रेज़िडेंशियल और कमर्शियल इंटीरियर प्रोडक्ट्स पर केंद्रित है।
- कंपनी के प्रमुख ब्रांड – ‘Euro Pratik’ और ‘Gloirio’ हैं।
- कंपनी का बिजनेस मॉडल एसेट-लाइट (Asset-Light) है। यानी कंपनी खुद उत्पादन नहीं करती बल्कि दक्षिण कोरिया, चीन और अमेरिका जैसे देशों में कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स से प्रोडक्शन कराती है।
- यह मॉडल कंपनी को कमी लागत पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध कराने में मदद करता है।
प्रमुख प्रोडक्ट्स और मार्केट उपस्थिति
यूरो प्रातिक सेल्स के प्रोडक्ट्स का उपयोग आवासीय और व्यावसायिक दोनों प्रकार की परियोजनाओं में किया जाता है।
- इंटीरियर डेकोरेशन, आर्किटेक्चर और फर्नीचर उद्योग में कंपनी की पकड़ मजबूत है।
- भारत के अलावा कंपनी की अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी भी लगातार बढ़ रही है।
- इसकी USP (Unique Selling Proposition) है – डिज़ाइन और क्वालिटी पर विशेष ध्यान।
बुक रनिंग लीड मैनेजर्स
इस आईपीओ का प्रबंधन Axis Capital और DAM Capital Advisors कर रहे हैं। ये दोनों कंपनियाँ भारतीय शेयर बाजार में बड़े आईपीओ प्रबंधित करने का लंबा अनुभव रखती हैं।
स्टॉक एक्सचेंज लिस्टिंग
- Euro Pratik Sales Ltd के शेयर NSE और BSE दोनों पर सूचीबद्ध (लिस्टेड) होंगे।
- यह निवेशकों को अधिक लिक्विडिटी (Liquidity) और आसान ट्रेडिंग (Trading Options) प्रदान करेगा।
निवेशकों के लिए अवसर और चुनौतियाँ
अवसर:
- ब्रांड वैल्यू – कंपनी के ब्रांड पहले से बाजार में स्थापित हैं।
- विस्तृत प्रोडक्ट रेंज – रेजिडेंशियल और कमर्शियल दोनों सेगमेंट में मांग।
- एसेट-लाइट मॉडल – लागत नियंत्रण और स्केलेबल बिजनेस।
- IPO में मजबूत रिटेल सपोर्ट – अच्छी लिस्टिंग गेन की संभावना।
चुनौतियाँ:
- पूरी तरह से ऑफर-फॉर-सेल, यानी कंपनी के पास नई पूंजी नहीं आएगी।
- वैश्विक आपूर्ति शृंखला (Supply Chain) पर निर्भरता।
- निर्माण लागत और विदेशी मुद्रा जोखिम।
- मार्केट में प्रतिस्पर्धा का दबाव।
विशेषज्ञों की राय
- कई मार्केट एनालिस्ट मानते हैं कि यदि रिटेल और QIB निवेशक आखिरी दिन तक बड़ी संख्या में बोली लगाते हैं, तो आईपीओ पूरी तरह से ओवरसब्सक्राइब हो सकता है।
- शॉर्ट टर्म में लिस्टिंग गेन (Listing Gain) संभव है।
- लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए कंपनी का ब्रांड और बाजार उपस्थिति फायदेमंद हो सकती है, लेकिन विदेशी सप्लाई चेन पर निर्भरता को ध्यान में रखना होगा।
निष्कर्ष
Euro Pratik Sales IPO ने दूसरे दिन तक 70% सब्सक्रिप्शन हासिल कर निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। रिटेल और नॉन-इंस्टीट्यूशनल निवेशकों का रुझान मजबूत है, जबकि QIB निवेशकों से और प्रतिक्रिया की उम्मीद बाकी है। कंपनी का ब्रांड वैल्यू, एसेट-लाइट मॉडल और विविध प्रोडक्ट रेंज इसे आकर्षक बनाते हैं। हालांकि यह पूरी तरह से ऑफर-फॉर-सेल है और कंपनी को सीधे नई पूंजी नहीं मिलेगी। ऐसे में निवेशकों को अपने लक्ष्य (लिस्टिंग गेन या लॉन्ग टर्म निवेश) स्पष्ट करके ही निर्णय लेना चाहिए।

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