नियमित आयोजन से वॉयस फ्रॉड, फिशिंग, एआई धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगेगी लगाम
(अभिमनोज)
डिजिटल युग में तेजी से बढ़ते साइबर अपराध — जैसे वॉयस फ्रॉड, फिशिंग, एआई-आधारित धोखाधड़ी, फेक न्यूज और मनी लॉन्ड्रिंग — से निपटने के लिए साइबर सुरक्षा हैकाथॉन एक प्रभावी मंच बनकर उभरा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इसे नियमित और संगठित तरीके से आयोजित किया जाए, तो यह भारत के साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
हैकाथॉन क्या है?
“हैक” और “मैराथॉन” का संयोजन — सीमित समय (24–48 घंटे) में तकनीकी समाधान खोजने की प्रतियोगिता।
इसमें प्रोग्रामर, एथिकल हैकर, डिजाइनर, डोमेन विशेषज्ञ और प्रोडक्ट मैनेजर मिलकर काम करते हैं।
इसे नवाचार की प्रयोगशाला भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से निकले समाधान कई बार सीधे पुलिस, बैंक और डिजिटल कंपनियों में लागू होते हैं।
हालिया उदाहरण
भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में आयोजित साइबर सुरक्षा हैकाथॉन में इंजीनियर अदीब को पहला स्थान और ₹5 लाख का पुरस्कार मिला।
मिशन साइबर सुरक्षा 2025, पटना — 14 टीमों ने 24 घंटे में एआई-फिशिंग डिटेक्शन, कॉल ट्रेसिंग और बैंकिंग फ्रॉड पर ठोस तकनीकी समाधान प्रस्तुत किए।
हैकाथॉन क्यों ज़रूरी है?
युवा प्रतिभाओं के लिए अवसर — कॉलेज, स्टार्टअप और स्वतंत्र शोधकर्ता अपने विचारों को प्रोजेक्ट में बदल सकते हैं।
सरकारी एजेंसियों के लिए मददगार — पुलिस की साइबर सेल और आर्थिक अपराध शाखा को नई तकनीक मिलती है।
उद्योग जगत को नवाचार — बैंक, ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया कंपनियों को तैयार समाधान और प्रोटोटाइप मिलते हैं।
सार्वजनिक जागरूकता — मीडिया कवरेज से आम जनता में साइबर सुरक्षा को लेकर सजगता बढ़ती है।
बदलते साइबर खतरे
पहले — पासवर्ड चोरी, ईमेल फ्रॉड
अब — एआई जनरेटेड डीपफेक, वॉयस क्लोनिंग, बायोमेट्रिक डेटा चोरी, क्रिप्टोकरेंसी मनी लॉन्ड्रिंग
पारंपरिक पुलिसिंग से निपटना कठिन, इसलिए हैकाथॉन जैसे नवाचार मंच अनिवार्य हैं।
भविष्य की दिशा
सरकार, शैक्षणिक संस्थान और उद्योग जगत को राष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक/अर्धवार्षिक साइबर हैकाथॉन आयोजित करने चाहिए।
विजेता टीमों के समाधानों को सीधे कार्यान्वयन तक पहुंचाना जरूरी है, ताकि वे वास्तविक बदलाव ला सकें।
साइबर सुरक्षा हैकाथॉन केवल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि तकनीकी नवाचार और सहयोग का शक्तिशाली मंच है। यह भारत को डिजिटल महाशक्ति बनाने के लिए अनिवार्य है और नागरिकों के मन में यह भरोसा जगाता है कि उनकी डिजिटल दुनिया सुरक्षित है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं साइबर विधि के अध्येता)
(साई फीचर्स)

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