रेल सुविधाओं के परिपूर्ण बनाना होगा सिवनी को, तभी सिवनी का विकास हो पाएगा संभव . . .
✍️ (लिमटी खरे)
रेल सुविधाओं के परिपूर्ण बनाए बिना सिवनी का विकास अधूरा है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) के नागपुर डिवीजन के अंतर्गत कोचिंग डिपो (Coaching Depot) स्थापित करने की चर्चा तेज़ हो गई है। लेकिन सवाल यह है कि इस डिपो का निर्माण मंडला, नैनपुर, चिरई डोंगरी या फिर पिण्डरई में होगा या फिर यह सिवनी जिले की झोली में आ पाएगा।
📌 कोचिंग डिपो क्या है और क्यों ज़रूरी है?
रेलवे कोचिंग डिपो (Coaching Depot) वह स्थान होता है जहाँ यात्री गाड़ियों के डिब्बों की सफाई, मरम्मत, रख-रखाव और जल आपूर्ति की जाती है।
- इससे ट्रेनों की गुणवत्ता और यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं में सुधार होता है।
- अधिक ट्रेनों का संचालन संभव हो पाता है।
- स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर पैदा होते हैं।
- शहर का रेलवे नेटवर्क मज़बूत होता है और विकास की गति बढ़ती है।
📍 मंडला संसदीय क्षेत्र में निरीक्षण
नई दिल्ली स्थित रेलवे बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार, मंडला के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंडला संसदीय क्षेत्र में कोचिंग डिपो स्थापित करने की मांग रखी। इसके बाद मंडला, नैनपुर, चिरई डोंगरी और पिण्डरई रेलवे स्टेशनों के आसपास निरीक्षण भी किया गया।
यहाँ तक कि मंडला फोर्ट रेलवे स्टेशन के पास उपलब्ध भूमि को लेकर भी रेलवे ने सकारात्मक रुख दिखाया है। वहाँ पिट लाइन, वॉशिंग पिट, स्टेबलिंग लाइन और अन्य तकनीकी सुविधाओं के लिए पर्याप्त जगह बताई जा रही है।
❓ सिवनी क्यों है बेहतर विकल्प?
सूत्रों का कहना है कि भौगोलिक दृष्टि से सिवनी जिला केंद्र बिंदु है।
- मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा और नैनपुर जैसे बड़े स्टेशनों के बीच सिवनी सबसे सुलभ स्थान है।
- यहाँ भुरकलखापा औद्योगिक क्षेत्र और छिंदवाड़ा रोड बायपास के पास पर्याप्त भूमि उपलब्ध है।
- सिवनी को जोड़ने वाली ब्रॉडगेज लाइन पहले से मौजूद है।
लेकिन सिवनी के कमजोर राजनीतिक नेतृत्व और बार-बार हुई उपेक्षा के चलते यहाँ की झोली से यह मौका हर बार छिन जाता है।
⚠️ पिछली उपेक्षा और राजनीतिक पहलू
- सिवनी संसदीय क्षेत्र के अवसान के बाद जिले को केंद्र सरकार की योजनाओं से दूर रखा गया।
- ब्रॉडगेज अमान परिवर्तन में भी सिवनी के साथ सौतेला व्यवहार हुआ।
- स्थानीय नेताओं की निष्क्रियता के कारण रेल विकास की योजनाएँ मंडला और अन्य जिलों की ओर शिफ्ट हो गईं।
- सांसद भारती पारधी अगर मजबूती से सिवनी का पक्ष रखती हैं, तो यह सौगात सिवनी के हिस्से में आ सकती है।
🌍 सिवनी में कोचिंग डिपो बनने के फायदे
अगर सिवनी में कोचिंग डिपो बनता है तो इसके कई सकारात्मक प्रभाव होंगे:
- रेलवे विकास:
- सिवनी रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी।
- सफाई और रखरखाव की बेहतर व्यवस्था होगी।
- आर्थिक लाभ:
- स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।
- औद्योगिक क्षेत्र को गति मिलेगी।
- क्षेत्रीय विकास:
- मंडला, बालाघाट, नैनपुर और छिंदवाड़ा जिलों को भी लाभ मिलेगा।
- पूरे महाकौशल अंचल में रेल सेवाओं का विस्तार होगा।
📰 जनता की उम्मीदें और सोशल मीडिया की आवाज
स्थानीय नागरिक लंबे समय से कोचिंग डिपो की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #SeoniRailway और #सिवनीरेलविकास जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं। लोग मानते हैं कि यह सुविधा मिलने से न सिर्फ सिवनी बल्कि आसपास के पाँच–छह जिलों को सीधा फायदा मिलेगा।
📊 तुलना : मंडला बनाम सिवनी
पहलू | मंडला | सिवनी |
भूमि उपलब्धता | मंडला फोर्ट के पास जमीन उपलब्ध | भुरकलखापा व बायपास क्षेत्र में पर्याप्त जमीन |
भौगोलिक स्थिति | सीमित जिलों से जुड़ा | पाँच–छह जिलों के केंद्र में स्थित |
राजनीतिक दबाव | मजबूत, सांसद सक्रिय | कमजोर, उपेक्षा का शिकार |
तकनीकी सुविधाएँ | विकसित की जा सकती हैं | रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से मौजूद |
🚉 भविष्य की राह
रेलवे बोर्ड को अंतिम निर्णय लेना है कि कोचिंग डिपो कहाँ स्थापित होगा।
- अगर मंडला को प्राथमिकता दी जाती है तो वहाँ सुविधाओं का विकास होगा।
- लेकिन अगर सिवनी को यह अवसर मिलता है तो पूरा अंचल लाभान्वित होगा।
वर्तमान समय में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) के बिलासुपर जोन के नागपुर डिवीजन के अंतर्गत एक कोचिंग डिपो (सीओडी) बनाए जाने की योजना पर न केवल विचार किया जा रहा है वरन इसके लिए नागपुर जोन के मण्डल रेल प्रबंधक के द्वारा मण्डला संसदीय क्षेत्र के मण्डला, नैनपुर, चिरई डोंगरी एवं पिण्डरई रेलवे स्टेशन के आसपास की जगहों का निरीक्षण भी किया गया है।
नई दिल्ली स्थिति रेलवे बोर्ड के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मण्डला के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मण्डला क्षेत्र की बात रेलवे बोर्ड के समक्ष रखी और कोचिंग डिपो के लिए मण्डला संसदीय क्षेत्र का दावा भी पुरजोर तरीके से रेखांकित किया गया। इसके बाद मण्डला संसदीय क्षेत्र के चार रेलवे स्टेशन्स के आसपास कोचिंग डिपो को बनाए जाने की संभावनाएं टटोली जाने लगी हैं।
सूत्रों ने बताया कि कोचिंग डिपो के लिए जिला मुख्यालय सिवनी के आसपास का क्षेत्र भौगोलिक एवं अन्य दृष्टि से बहुत ज्यादा मुफीद ही साबित होता दिखता है, पर कमोजर नेतृत्व के अभाव में सिवनी की झोली में आने वाली सौगातों को पिछले लगभग दो दशकों से अन्य जिलों में भेजा जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि जबसे सिवनी संसदीय क्षेत्र का अवसान हुआ है, तब से केंद्र सरकार के मामलों में सिवनी जिले की उपेक्षा का अनवरत सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिवनी में नेरोगेज से ब्राडगेज के अमान परिवर्तन में भी सौतेला व्यवहार किया गया। सिवनी मूल के चार बार के विधायक डॉ. ढाल सिंह बिसेन जब बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सांसद बने तब उनके द्वारा भी बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में पटरी बिछाने आदि के काम में दिलचस्पी नहीं ली गई। जिसका साक्षात प्रमाण समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की साई न्यूज में प्रसारित ‘लिमटी की लालटेन‘ के 150 से ज्यादा ऐपीसोड रहे हैं, जिसमें इस बात को वजनदारी के साथ रेखांकित किया गया था।
बहरहाल, बालाघाट की वर्तमान सांसद भारती पारधी के द्वारा अब भी अगर सिवनी जिले के हित को सर्वोपरि रखते हुए सिवनी में कोचिंग डिपो खोलने की मांग रेलवे बोर्ड के पास वजनदारी से की जाती है तो निश्चित तौर पर सिवनी के साथ ही साथ बालाघाट, मण्डला, नैनपुर एवं छिंदवाड़ा के रेलवे स्टेशन्स के विकास में योगदान मिल सकेगा, क्योंकि यह इन जिलों के केंद्र में स्थित है। इसके साथ ही साथ सिवनी से अधिक सवारी रेलगाड़ियों के संचालन के मार्ग भी प्रशस्त हो सकेंगे।
इधर, एसईसीआर के मण्डल रेल प्रबंधक, नागपुर के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मण्डला संसदीय क्षेत्र के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के द्वारा डीआरएम नागपुर के समक्ष यह बात बहुत ही वजनदारी के साथ रखी है कि मण्डला फोर्ट रेलवे स्टेशन के पास कोचिंग डिपो बनाने के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है, एवं अगर, कोचिंग डिपो मंडला में स्थापित होता है, तो न केवल मंडला बल्कि नैनपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा और सिवनी रेलवे स्टेशनों के विकास में भी यह महती भूमिका निभाने की स्थिति में होने के साथ ही साथ मण्डला फोर्ट रेलवे स्टेशन से सवारी गाड़ियों की तादाद में इजाफा हो जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि मण्डला संसद सदस्य के द्वारा यह बात भी बताई गई है कि मण्डला फोर्ट रेलवे स्टेशन में अगर कोचिंग डिपो बनता है तो वहां पिट लाइन, कोच वाटरिंग, सफाई व्यवस्था, वॉशिंग पिट और स्टेबलिंग लाइन जैसी सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। इन सुविधाओं से ट्रेनों के डिब्बों का रख-रखाव, सफाई और मरम्मत आसानी से की जा सकेगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधा और स्वच्छता सुनिश्चित होगी।
वहीं, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर जोनल प्रबंधक कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि कोचिंग डिपो के लिए जिला मुख्यालय सिवनी सबसे मुफीद साबित हो सकता है। इसके लिए भुरकलखापा के औद्योगिक क्षेत्र के लिए आवंटित भूमि जिसमें महज एक दर्जन उद्योग ही अब तक स्थापित हो पाए हैं वह अथवा उसके आसपास की भूमि, छिंदवाड़ा रोड बायपास के आसपास की भूमि उपयुक्त हो सकती है।
सूत्रों का कहना था कि इसके लिए बालाघाट की सांसद भारती पारधी अगर सिवनी का पक्ष वजनदारी से रेलवे बोर्ड के समक्ष रखती हैं, तो रेलवे का कोचिंग डिपो सिवनी में बनने के मार्ग प्रशस्त हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो सिवनी को रेलवे के नक्शे पर आने से कोई ताकत नहीं रोक सकती एवं सिवनी में अनेक सवारी रेलगाड़ियों का परिचालन आरंभ हो सकता है। पर यक्ष प्रश्न यही खड़ा हुआ है कि सांसद भारती पारधी को सिवनी का पक्ष वजनदारी के साथ रखने के लिए बाध्य कौन करे!
✅ निष्कर्ष
सिवनी में कोचिंग डिपो की मांग कोई नई नहीं है। वर्षों से यह मुद्दा उठता रहा है, लेकिन मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में सिवनी बार-बार पीछे छूट गया। अब यह जिम्मेदारी सांसद भारती पारधी और स्थानीय नेतृत्व पर है कि वे रेलवे बोर्ड के सामने सिवनी का पक्ष मजबूती से रखें।
अगर कोचिंग डिपो सिवनी में स्थापित होता है तो यह सिर्फ एक रेलवे सुविधा नहीं होगी, बल्कि सिवनी और आसपास के जिलों के आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक विकास का द्वार साबित होगा।
(साई फीचर्स)

43 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. दिल्ली, मुंबई, नागपुर, सिवनी, भोपाल, रायपुर, इंदौर, जबलपुर, रीवा आदि विभिन्न शहरों में विभिन्न मीडिया संस्थानों में लम्बे समय तक काम करने का अनुभव, वर्तमान में 2008 से लगातार “समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया” के ‘संस्थापक संपादक’ हैं. 2002 से लगातार ही अधिमान्य पत्रकार (Accredited Journalist) हैं एवं नई दिल्ली में लगभग एक दशक से अधिक समय तक पत्रकारिता के दौरान भी अधिमान्य पत्रकार रहे हैं.
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