क्या महिलाएं भी तर्पण और पिंडदान कर सकती हैं? जानिए, माता सीता द्वारा किए गए राजा दशरथ के पिंडदान की कथा और धार्मिक मान्यता
क्या महिलाएं श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान कर सकती हैं? पितृ पक्ष में माता सीता द्वारा राजा दशरथ के पिंडदान की कथा और गरुड़ पुराण के अनुसार महिलाओं के अधिकार, धार्मिक मान्यताएं और श्राद्ध की सही विधि जानिए विस्तार से।
आप देख, सुन और पढ़ रहे हैं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की सांई न्यूज के धर्म प्रभाग में विभिन्न जानकारियों के संबंद्ध में . . .
📜 पितृ पक्ष में महिलाओं के अधिकार का प्रश्न
पितृ पक्ष हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है, जो भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं।
अक्सर आपने पुरुषों को ही श्राद्ध कर्म करते देखा होगा, लेकिन सवाल यह है — क्या महिलाएं भी यह धार्मिक कर्तव्य निभा सकती हैं?
पितर पक्ष अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी, मार्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, जय श्री राम, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
🕉 गरुड़ पुराण और महिलाओं का श्राद्ध अधिकार
गरुड़ पुराण के अनुसार,
“पुत्राभावे वधु कूर्यात…”
अर्थात, यदि पुत्र न हो, तो पत्नी, बहू या पुत्री श्राद्ध कर सकती है।
इसके अलावा, यदि घर का पुरुष सदस्य अनुपस्थित हो, तो महिलाएं भी पिंडदान और तर्पण कर सकती हैं।
इस आलेख को वीडियो को ‘साई न्यूज चेनल‘ में देखने के लिए क्लिक कीजिए . . .
🌸 माता सीता द्वारा किया गया पहला पिंडदान
वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि वनवास के दौरान पितृ पक्ष में जब श्रीराम और लक्ष्मण पिंडदान सामग्री लेने गए, तभी समय बीतने लगा।
इस दौरान माता सीता को आकाशवाणी हुई और उन्होंने फाल्गू नदी के किनारे बालू का पिंड बनाकर, वटवृक्ष, केतकी के फूल, गाय और नदी को साक्षी मानकर राजा दशरथ का पिंडदान किया।
📖 धार्मिक प्रमाण
- वाल्मीकि रामायण – माता सीता का पिंडदान प्रसंग
- गरुड़ पुराण (अध्याय 11–14) – महिलाओं को विशेष परिस्थितियों में श्राद्ध का अधिकार
- ज्योतिषाचार्यों का मत – पितृ पक्ष के दौरान किसी भी कारण से श्राद्ध रोकना अशुभ
🪔 किन परिस्थितियों में महिलाएं श्राद्ध कर सकती हैं
- घर में पुत्र या कोई पुरुष न हो
- पुरुष सदस्य दूर हो या गंभीर कारण से अनुपस्थित हो
- विशेष परिस्थिति में पितरों के श्राद्ध को विलंबित न किया जा सके
🙏 श्राद्ध करने की विधि
- वस्त्र धारण – सफेद या हल्के रंग का साफ वस्त्र पहनें।
- पिंड निर्माण – जौ के आटे या खोये से पिंड बनाएं।
- पूजन सामग्री – कच्चा सूत, फूल, चावल, चंदन, मिठाई, तिल, दही।
- पूजन विधि – पितरों का ध्यान करके दोनों हाथ जोड़ें, मोक्ष की प्रार्थना करें।
- पिंड विसर्जन – दोपहर में पिंड को जल में प्रवाहित करें।
📌 ध्यान देने योग्य बातें
- पिंडदान हमेशा दोपहर में करें।
- पितृ पक्ष में श्राद्ध न करने से पूर्वजों की आत्मा अशांत रहती है, ऐसा धार्मिक मान्यता है।
- महिलाओं को केवल आवश्यकता और विशेष परिस्थितियों में ही यह कार्य करना चाहिए।
📢 महत्वपूर्ण नोट
हरि ओम,
पितर पक्ष अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी, मार्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, जय श्री राम, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंत कथाओं, किंव दंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा ना मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
अगर आपको समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में खबरें आदि पसंद आ रही हो तो आप इसे लाईक, शेयर व सब्सक्राईब अवश्य करें। हम नई जानकारी लेकर फिर हाजिर होंगे तब तक के लिए इजाजत दीजिए, हरि ओम , . . .
यह सभी जानकारियां धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों पर आधारित हैं।
इन्हें अंतिम सत्य न मानें और किसी योग्य पंडित या ज्योतिषाचार्य से परामर्श लें।
(साई फीचर्स)

लगभग 16 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के सिवनी ब्यूरो के रूप में लगभग 12 सालों से कार्यरत हैं.
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.