पितृ पक्ष क्या है?
पितृ पक्ष हिन्दू धर्म का वह काल है जब लोग अपने पूर्वजों को याद करके उनका श्राद्ध और तर्पण करते हैं। इसे महालय पक्ष भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस समय पितरों की आत्माएँ पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों के श्राद्ध से तृप्त होकर आशीर्वाद देती हैं
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श्राद्ध पर्व का महत्व
- पितरों के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करने का अवसर।
- पितृ दोष निवारण का सबसे बड़ा साधन।
- पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष का मार्ग।
- परिवार में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति।
पितृ पक्ष में कथाएँ क्यों सुननी चाहिए?
धर्मग्रंथों में वर्णित कथाओं को सुनना और समझना पितृ पक्ष का अभिन्न अंग माना गया है।
- कथाएँ जीवन को शिक्षा देती हैं।
- इनसे श्राद्ध का वास्तविक उद्देश्य समझ आता है।
- पूर्वजों को स्मरण करने से पुण्य फल प्राप्त होता है।
कर्ण की कथा: क्यों कहा गया पितृ पक्ष?
महाभारत के वीर कर्ण जब मृत्यु के बाद स्वर्ग पहुँचे तो उन्हें भोजन की बजाय सोना और गहने मिले।
कथा का सार
- जीवन भर कर्ण ने सोना दान किया, पर पूर्वजों को कभी भोजन अर्पित नहीं किया।
- देवताओं ने उन्हें याद दिलाया कि पितृ तर्पण न करने से यह परिणाम हुआ।
- इंद्र ने उन्हें 16 दिन के लिए पृथ्वी पर भेजा ताकि वे पितरों का श्राद्ध कर सकें।
- यही 16 दिन पितृ पक्ष के रूप में मनाए जाने लगे।
👉 इस कथा से संदेश मिलता है कि सोने-चाँदी से बड़ा दान भोजन और श्राद्ध का है।
भोगे-जोगे की कथा: पितरों की कृपा से निर्धनता का अंत
एक प्रचलित कथा के अनुसार जोगे और भोगे नामक दो भाई रहते थे।
कथा का सार
- जोगे धनी था, पर श्राद्ध को महत्व नहीं देता था।
- भोगे निर्धन था, फिर भी श्रद्धा से पितरों का तर्पण करता था।
- श्राद्ध के दिन जोगे ने केवल दिखावा किया, जबकि भोगे की पत्नी ने साधन न होते हुए भी आस्था से श्राद्ध किया।
- पितर भूखे रहकर भी भोगे की श्रद्धा से प्रसन्न हुए और उसके घर धन-धान्य की वर्षा कर दी।
👉 इस कथा का संदेश है कि धन नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा ही पितरों को प्रसन्न करती है।
पितृ पक्ष की अन्य कथाएँ
- सावित्री और सत्यवान की कथा: पितरों की कृपा से सत्यवान का पुनर्जीवन।
- नचिकेता की कथा: मृत्यु और आत्मा का रहस्य जानने का प्रसंग।
- भगीरथ की कथा: पितरों की मुक्ति हेतु गंगा अवतरण।
इन कथाओं से स्पष्ट होता है कि पितृ पक्ष केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन के गहन सत्य को समझने का समय है।
पितृ पक्ष में पालन किए जाने वाले नियम
- श्राद्ध तिथि के अनुसार पूर्वजों को तर्पण करना।
- ब्राह्मण भोजन और दान देना।
- घर में सात्विकता और पवित्रता बनाए रखना।
- पशु-पक्षियों को दाना-पानी अर्पित करना।
पितृ पक्ष का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- श्राद्ध में अन्न और जल का दान हमारे समाज में “food security” और “charity” की परंपरा को बनाए रखता है।
- पितरों का स्मरण करने से परिवारिक जुड़ाव और सामंजस्य बढ़ता है।
- यह पर्व हमें पर्यावरण, जल और अन्न के संरक्षण का भी संदेश देता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
पितृ पक्ष केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जीवन मूल्यों का स्मरण कराने वाला पर्व है। कर्ण की कथा हमें दान का सही महत्व बताती है, वहीं भोगे-जोगे की कथा आस्था की शक्ति को प्रकट करती है। पितृ पक्ष की कथाएँ सुनने और समझने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि जीवित वंशजों को भी पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
👉 इसलिए पितृ पक्ष में कथाओं का श्रवण करना और श्राद्ध करना हर किसी के लिए आवश्यक माना गया है।
(साई फीचर्स)

आकाश कुमार ने नई दिल्ली में एक ख्यातिलब्ध मास कम्यूनिकेशन इंस्टीट्यूट से मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद देश की आर्थिक राजधानी में हाथ आजमाने की सोची. लगभग 15 सालों से आकाश पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं और समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के मुंबई ब्यूरो के रूप में लगातार काम कर रहे हैं.
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