कचरे का ढेर बना सिवनी शहर, नगर पालिका की लापरवाही पर जनता सवालिया निशान लगी उठाने

सिवनी शहर इन दिनों कचरे के ढेर, आवारा मवेशियों और कटखने कुत्तों की समस्या से जूझ रहा है। नगर पालिका की उदासीनता और नेताओं की चुप्पी ने नागरिकों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। स्वच्छ भारत मिशन के बावजूद सिवनी का हाल बदहाल है।

सिवनी शहर का हाल बेहाल

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। सिवनी, जिसे “शिव की नगरी” कहा जाता है, आज बदहाली और कचरे के ढेरों के लिए पहचाना जा रहा है। गली-गली फैला कचरा, नालियों में जमी गंदगी और बदबू से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। आवारा मवेशियों और कटखने कुत्तों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि लोग घर से निकलने में डरने लगे हैं।

भाजपा की नगर पालिका उदासीन

नगर पालिका परिषद सिवनी वर्तमान में भाजपा के नियंत्रण में है। जनता का कहना है कि स्वच्छता को लेकर नगर पालिका पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।

मुख्य आरोप

  • नियमित कचरा उठाव नहीं।
  • नालियों की सफाई महीनों से नहीं हुई।
  • कचरा गाड़ियों की संख्या और क्षमता कम।
  • स्वच्छ भारत मिशन का बजट खर्च होने के बावजूद नतीजे शून्य।

विपक्ष कांग्रेस भी मौन क्यों?

विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे पर ज़मीनी स्तर पर कोई आंदोलन नहीं किया है। जनता का सवाल है कि अगर सत्ता पक्ष लापरवाह है तो विपक्ष का कर्तव्य है कि वह आवाज़ बुलंद करे। लेकिन सिवनी में कांग्रेस नेताओं की चुप्पी ने लोगों को निराश किया है।

आवारा मवेशियों ने बढ़ाई मुसीबत

सिवनी शहर में आवारा मवेशी सड़कों पर घूमते रहते हैं।

समस्या का प्रभाव

  • आए दिन दुर्घटनाएँ हो रही हैं।
  • सब्ज़ी मंडियों और बाज़ारों में मवेशियों का जमावड़ा।
  • किसानों और दुकानदारों का सामान बर्बाद।
  • नागरिकों का रात में चलना मुश्किल।

कटखने कुत्तों का आतंक

नगर पालिका की लापरवाही का सबसे बड़ा दुष्परिणाम है आवारा कुत्तों की बेतहाशा वृद्धि।

  • बच्चों और बुजुर्गों पर हमला आम बात।
  • कई लोग अस्पताल में भर्ती तक हो चुके हैं।
  • रेबीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा है।

स्वच्छ भारत मिशन पर सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाया गया स्वच्छ भारत मिशन सिवनी में पूरी तरह से असफल नजर आ रहा है। करोड़ों का बजट जारी होने के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हुआ है।

  • न तो सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति सुधरी।
  • न ही कचरा प्रबंधन प्रणाली विकसित हो पाई।
  • गली-गली में गंदगी, कीचड़ और दुर्गंध फैली हुई है।

सांसद और विधायक क्यों चुप?

सिवनी जिले के सांसद और विधायक, जो समय-समय पर जनता से वोट मांगते हैं, इस गंभीर समस्या पर चुप हैं। नागरिकों का कहना है कि चुनाव के समय नेता हर गली में आते हैं, लेकिन अब जब जनता परेशानी में है तो सब मौन साधे बैठे हैं।

नागरिकों की पीड़ा

लोगों का कहना है कि बच्चों और बुजुर्गों का स्वास्थ्य लगातार प्रभावित हो रहा है।

  • डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक रोग फैल रहे हैं।
  • बाजार क्षेत्र में गंदगी से व्यापार प्रभावित हो रहा है।
  • महिलाएँ और स्कूली बच्चे सबसे ज्यादा परेशान हैं।

क्या है समाधान?

  • नगर पालिका को नियमित कचरा उठाव और नालियों की सफाई करनी चाहिए।
  • आवारा मवेशियों और कुत्तों पर नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाना जरूरी है।
  • सार्वजनिक भागीदारी बढ़ानी होगी।
  • स्वच्छ भारत मिशन के फंड का पारदर्शी उपयोग होना चाहिए।
  • नेताओं और जनप्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

सिवनी शहर की स्थिति आज गंभीर है। कचरे के ढेर, आवारा मवेशियों और कटखने कुत्तों से लोग त्रस्त हैं। भाजपा शासित नगर पालिका पूरी तरह उदासीन है और विपक्ष कांग्रेस भी मौन है। सांसद और विधायक जनता की आवाज़ नहीं सुन रहे। यदि यही हाल रहा तो सिवनी का नाम “शिव की नगरी” से हटकर “कचरे की नगरी” हो जाएगा।
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