(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जैसे-जैसे शारदीय नवरात्र का पावन पर्व नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे शिव की नगरी काशी में आस्था का रंग गहराने लगा है। गलियों और मोहल्लों में जगह-जगह मूर्तिकार जगत जननी माता दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं।
मिट्टी से प्रतिमा निर्माण की परंपरा
मूर्तिकार मिट्टी, कपड़ा और लकड़ी का प्रयोग कर देवी दुर्गा की सुंदर और भव्य प्रतिमाएँ तैयार कर रहे हैं। पहले बांस और लकड़ी से ढांचा तैयार किया जाता है, फिर उस पर मिट्टी की परत चढ़ाई जाती है। इसके बाद महीनों की मेहनत से मूर्तियाँ आकार लेती हैं।
नवरात्र में विशेष महत्त्व
नवरात्र में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मंदिरों और पंडालों में स्थापित प्रतिमाएँ श्रद्धालुओं को देवी के दिव्य स्वरूप का दर्शन कराती हैं। काशी में हर साल हजारों भक्त इस उत्सव में शामिल होते हैं।
मूर्तिकारों की मेहनत
मूर्तिकार दिन-रात प्रतिमाओं को सजाने और रंगने में लगे हैं। लाल, पीले और सुनहरे रंगों से सजी प्रतिमाएँ भक्तों को आकर्षित कर रही हैं। मूर्तिकारों का कहना है कि हर वर्ष वे नए डिजाइन और अलग-अलग रूप में माता की प्रतिमा तैयार करते हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव
नवरात्र केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी है। शहर में गरबा, दुर्गा अष्टमी और कन्या पूजन जैसे आयोजन होते हैं। शिव की नगरी में नवरात्र का उल्लास अलग ही रंग भर देता है।
भक्तों की श्रद्धा
भक्तगण प्रतिमाओं को घर और पंडालों में विराजमान करने के लिए बुकिंग कर चुके हैं। नवरात्र के पहले दिन प्रतिमाओं की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजन किया जाएगा।
📢 निष्कर्ष
नवरात्र 2025 के आगमन के साथ ही शिव की नगरी में माता दुर्गा की प्रतिमाएँ आस्था और भक्ति का प्रतीक बन चुकी हैं। मूर्तिकारों की मेहनत और श्रद्धा से सजी प्रतिमाएँ इस पर्व को और भव्य बनाएंगी।

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