🔹 जीवन और मृत्यु का शाश्वत सत्य
मानव जीवन एक अनमोल अवसर है, लेकिन मृत्यु इसके अंत का अनिवार्य सत्य। हर धर्म और दर्शन में मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा को लेकर विभिन्न विचार मिलते हैं। हिंदू शास्त्रों में विशेषकर गरुड़ पुराण को इस विषय का सबसे प्रामाणिक ग्रंथ माना गया है। इसमें विस्तार से बताया गया है कि आत्मा शरीर छोड़ने के बाद किन-किन मार्गों से गुजरती है और उसके कर्म किस प्रकार उसके भविष्य का निर्धारण करते हैं।
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🔹 मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा की स्थिति
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब प्राणी की मृत्यु होती है तो आत्मा शरीर से अलग होकर कुछ समय तक उसी स्थान पर रहती है। इस दौरान वह अपने परिजनों, रिश्तेदारों और प्रियजनों को देख सकती है, परंतु उनसे संवाद नहीं कर पाती। यही कारण है कि हिंदू परंपरा में मृत्यु के बाद 13 दिन तक विशेष कर्मकांड और तर्पण किए जाते हैं ताकि आत्मा की यात्रा सहज हो सके।
🔹 यमदूत और कर्मों का लेखा-जोखा
शास्त्र कहते हैं कि यमराज के दूत आत्मा को लेकर जाते हैं। वहां चित्रगुप्त उसके जीवन भर के कर्मों का हिसाब प्रस्तुत करते हैं। यदि आत्मा ने जीवन में धर्म, सत्य, दान और सेवा जैसे अच्छे कर्म किए हैं तो उसका मार्ग सरल हो जाता है। वहीं बुरे कर्मों का फल उसे नरक मार्ग में दुख भोगकर चुकाना पड़ता है।
🔹 16 दिन की आत्मा यात्रा और पितृ पक्ष का महत्व
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा 16 दिन की यात्रा करती है। यही कारण है कि पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध का विधान है। माना जाता है कि इन दिनों पितरों की आत्मा अपने वंशजों से अन्न-जल की अपेक्षा करती है। श्राद्ध और तर्पण करने से आत्मा को शांति मिलती है और वंशजों को आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🔹 आत्मा की मंज़िल – स्वर्ग, नरक या मोक्ष
आत्मा का अंतिम गंतव्य उसके कर्मों पर निर्भर करता है।
- सत्कर्म करने वाली आत्मा देव लोक या स्वर्ग प्राप्त करती है।
- पाप कर्मों में लिप्त आत्मा को नरक में विभिन्न यंत्रणाएं सहनी पड़ती हैं।
- वहीं, मोक्ष सबसे उच्च अवस्था है, जिसमें आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर परमात्मा में विलीन हो जाती है।
🔹 जीवन का संदेश
गरुड़ पुराण हमें यह शिक्षा देता है कि जीवन क्षणभंगुर है, लेकिन कर्म शाश्वत हैं। मृत्यु के बाद आत्मा को वही मिलता है जो उसने जीवन में किया है। यही कारण है कि संत महात्मा हमेशा अच्छे कर्म करने, सत्य बोलने और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
✅ इस प्रकार, गरुड़ पुराण स्पष्ट करता है कि मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा केवल हमारे कर्मों पर आधारित है। इसलिए जीवन जीने का सबसे बड़ा उद्देश्य सत्कर्म और आत्मिक शुद्धि होना चाहिए।
(साई फीचर्स)

मूलतः प्रयागराज निवासी, पिछले लगभग 25 वर्षों से अधिक समय से नई दिल्ली में पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय विनीत खरे किसी पहचान को मोहताज नहीं हैं.
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