इस स्तंभ के माध्यम से मैं अपील करना चाहता हूँ कि यातायात विभाग के साथ ही साथ आरटीओ के द्वारा अपने नंबर सार्वजनिक किये जाना चाहिये।
इसके पीछे कारण यही है कि इन दिनों शहर में कई तरह के मॉडीफाईड वाहन घूम रहे हैं जो नियमानुसार सही नहीं कहे जा सकते हैं लेकिन यातायात विभाग के साथ ही साथ आरटीओ के द्वारा भी इस दिशा में या तो कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है और या फिर इन विभागों के द्वारा अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली गयी है। इस तरह के वाहन लोगों के लिये सिरदर्द से कम नहीं साबित हो रहे हैं।
वाहनों से निकलने वाली अजीब सी ध्वनि लोगों के लिये परेशानी का सबब बनती जा रही है। इनमें भी मोटर साईकिल प्रमुख हैं। इस तरह के वाहनों का उपयोग मनचलों के द्वारा सरेराह किया जा रहा है लेकिन ऐसा लगता है कि किसी बड़ी घटना के घटित होने का इंतजार किया जा रहा है शायद उसके बाद ही ऐसे वाहन स्वामियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जा सकेगी।
यदि यातायात विभाग के अधिकारी और आरटीओ के नंबर सार्वजनिक किये जाते हैं तो उसका एक फायदा यह होगा कि इन विभागों को दोषपूर्ण वाहनों की फोटो भेजी जा सकेगी। वाहनों पर मनमाने तरीके से लिखवायी गयी नंबर प्लेट जिनमें यह पता ही नहीं चलता है कि वाहन का नंबर वास्तव में है क्या, ऐसे वाहनों की फोटो संबंधित अधिकारियों के नंबर पर भेजी जाकर उम्मीद की जा सकेगी कि शायद उनके द्वारा कोई प्रभावी कार्यवाही की जाये।
इसी तरह यदि पुलिस विभाग के द्वारा भी अपने अधिकारियों के नंबर आम जनता को मुहैया करवाये जाते हैं तो इससे लोगों को इस महत्वपूर्ण विभाग को सहयोग करने में आसानी ही होगी।
शिरीष गर्ग