ऐतिहासिक फैसले के बाद हिंदुत्व के लौह पुरुष बने अमित शाह!

 

 

 

 

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली (साई)। अमित शाह को बीजेपी अब नए लौह पुरुष के तौर पर देख रही है। आर्टिकल-370 हटाने जैसा कदम उठाने के बाद बीजेपी नेताओं और समर्थकों ने शाह की तुलना सरदार वल्लभ भाई पटेल से करनी शुरू कर दी।

दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता ने ट्वीट किया – मोदी फॉर 2024, शाह फॉर 2029। रविवार को खत्म हुए बीजेपी सांसदों के दो दिन के अभ्यास वर्ग में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा था कि अमित शाह में बतौर गृह मंत्री सरदार पटेल की छवि दिखती है।

शाह ने अपनी लौह पुरुष की छवि को हर उस मौके पर साबित किया, जब कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें किसी जिम्मेदारी के लिए चुना हो। यूपी में 50 फीसदी से अधिक वोटों को अपने पाले में करने से लेकर बंगाल में भगवा लहराने तक शाह मजबूती से पार्टी के लिए काम करते रहे और अब जम्मू-कश्मीर पर एक ऐतिहासिक फैसले के बाद शाह ने अपने को भारतीय सियासत का एक नया लौह पुरुष साबित कर दिया।

शाह को मिली सबसे अहम जिम्मेदारी : चुनाव जिताने की रणनीति बनाने में माहिर अमित शाह को चाणक्य के तौर पर पहले ही पेश कर दिया गया था। अब कश्मीर पर लिए ऐतिहासिक फैसले के बाद उनकी बोल्डनेस की भी चर्चा की जा रही है। बीजेपी लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर जीती और उसकी पूरी रणनीति का जिम्मा शाह ने संभाला था। मोदी सरकार के पहले पांच साल में शाह ने पूरा देश घूमकर लोगों की नब्ज पकड़ी, जो चुनावी रणनीति बनाने में काम आई। पहले से भी ज्यादा बहुमत से बीजेपी सरकार की वापसी हुई और शाह ने सबसे अहम गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी ली।

नियुक्तियों में शाह और मोदी की सहमति जरूरी : दिलचस्प है कि ओरिजिनल लौह पुरुष यानी सरदार पटेल भी देश के गृह मंत्री रहे। सरकार सहित पार्टी में सभी अहम नियुक्तियों में मोदी और शाह, दोनों की सहमति जरूरी मानी जाती है। धारा- 370 निष्प्रभावी करने के बाद यह चर्चा भी गरम है कि गृह मंत्री या प्रधानमंत्री 15 अगस्त को इस बार श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा सकते हैं। हालांकि किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

हर सवाल का सदन में जवाब देने को तैयार : विरोधी भी मानते हैं कि शाह सदन में हर सवाल का जवाब देने को तैयार रहते हैं। उनकी रणनीति थी कि सरकार बहुमत न होने के बावजूद अहम बिल पास करा ले गई। जिस तरह दूसरी पार्टी के सांसद लगातार बीजेपी में शामिल होते जा रहे हैं, वह भी शाह के मैनेजमेंट का ही नमूना है।

रणनीति से विरोधी भी पस्त : राज्यसभा में सोमवार को जब चेयरमैन ने ऐलान किया कि कांग्रेस सांसद भुवनेश्वर कलीता ने इस्तीफा दे दिया है तो कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया से लगा कि उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं थी। तीन तलाक बिल पर वोटिंग होने से पहले एक कांग्रेस सांसद ने इस्तीफा दे दिया था और वोटिंग के वक्त भी कुछ कांग्रेस सांसद नदारद रहे। शाह के इस सिक्सर से सोमवार को विरोधी एकदम भड़क गए थे, जबकि वह खुद बेपरवाह थे। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद तो इतने गुस्से में थे कि एक बीजेपी सांसद के टोकने पर शटअप तक कह दिया। सांसद वाइको खड़े हुए तो आजाद उन पर भी भड़क गए और फिर शटअप कहा।