स्वामी विवेकानंद को विदेश जाने से पहले एक बार खेतड़ी (राजस्थान) जाना पड़ा क्योंकि वहां के महाराजा की कोई संतान नहीं थी और स्वामीजी
प्रेरक प्रसंग
इंसान क्रोध में क्यों चीखते-चिल्लाते हैं?
एक सिद्ध बौद्ध भिक्षु अपने शिष्यों के साथ नगर भ्रमण पर निकले। उन्होंने देखा कि वहां एक ही परिवार के कुछ लोग आपस में
बुरे समय को ऐसे टालिए
शाम का समय था। महात्मा बुद्ध एक शिला पर बैठे हुए थे। वह डूबते सूर्य को एकटक देख रहे थे। तभी उनका शिष्य आया
अमेरिका के पहले राष्ट्रपति से सीखिये ये 5 बातें
अब्राहम लिंकन 12 फरवरी, 1809 से 15अप्रैल 1865 अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति थे। वह रिपब्लिकन पार्टी से थे। उन्होने अमेरिका को उसके सबसे बड़े संकट
उसकी बात मानते तो वकील होते विवेकानंद
एकांत को दृष्टिगत रखते हुए नरेंद्र (विवेकानंद के बचपन का नाम) अपने नाना के घर पर अकेले रहकर पढ़ाई करते थे। एक शाम एक
इस बात ने बदल दिया बुद्ध का जीवन
गौतम बुद्ध जिन्हें हम सिद्धार्थ के नाम से भी जानते हैं, उनका प्रवचन चल रहा था। एक व्यक्ति हर रोज प्रवचन सुनने आता था। बुद्ध
विद्या से अनमोल कुछ भी नहीं, जीवन भी नहीं. . .
भारत में अनेक देशों से विद्वान लोग आकर यहां से ज्ञान ग्रहण कर अपने देशों में उसका प्रचार करते रहे हैं। उन्हीं में चीन
मां का प्यार
एक बार एक सौदागर राजा के महल में दो बड़ी ही खूबसूरत गायों को लेकर आया। दोनों ही गायें दिखने में बिल्कुल एक जैसी
बचपन से ही साहसी थे स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बुद्धिमान थे। उनका व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था। उनके बचपन का नाम नरेंद्र था। जब भी वो किसी साथी
ईमानदार हैं तो आलोचनाओं से क्या डर . . .?
अरब में दूर-दूर तक फैले हुए साम्राज्य की शासक एक महिला थी। उसके साम्राज्य में हर ओर खुशहाली छाई थी। वह समय-समय पर अपनी